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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

सामाजिक विकास का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definitions of Social Development)

सामाजिकता एक अर्जित व्यवहार है जो सामाजिक अधिगम या सामाजीकरण का परिणाम है। व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है तथा आगे चलकर एक प्रौढ़ की भूमिका निभाता है। अतः सामाजिक विकास का बालक के जीवन में विशेष महत्व है। इसी प्रक्रिया के माध्यम से बालक में उन गुणों का विकास होता है जो किसी सभ्य एवं सामाजिक व्यक्ति के व्यवहार में पाये जाते हैं। इस प्रक्रिया के द्वारा ही बालक में धीरे-धीरे सामाजिक व्यवहार सम्बन्धी परिपक्वता आती है। नवीन व्यवहारों का विकास, रुचियों में परिवर्तन एवं मैत्री सम्बन्धों में विस्तार आदि सामाजिक विकास द्वारा ही सम्भव होता है। इसी कारण कहा जाता है कि जिसमें सामाजिक गुणों का विकास हो जाता है उसमें अन्य लोगों के साथ रहने के अतिरिक्त मिलजुलकर कार्य करने की प्रवृत्ति भी प्रदर्शित होती है। (Hurlock 1978 )। सामाजिक विकास को परिभाषित करते हुए भिन्न-भिन्न "विद्वानों ने विभिन्न विचार प्रस्तुत किये हैं, उनमें से कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

"सामाजिक विकास वह प्रक्रम है जिसके द्वारा व्यक्ति में उसके समूह के आदर्शों के अनुरूप वास्तविक व्यवहार विकसित होता है।"

"Social development is the process by which an individual is led to development actial behaviour according to the standard of his group."

- चाइल्ड (Child 1950)

"सामाजिक प्रत्याशाओं के अनुरूप व्यवहार की योग्यता का अर्जन सामाजिक विकास कहा जाता है।'

"Social development means acquistion of the ability to behaviour in accordance with social expectation."

- हरलॉक (Hurlock, 1978)

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट है कि सामाजिक विकास का व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक महत्व है तथा एक सभ्य एवं सामाजिक प्राणी बनने के लिए बालकों को सामाजिक प्रत्याशाओं के अनुरूप व्यवहार करना पड़ता है। सामाजीकरण की प्रक्रिया सामाजिक विकास का एक रूप है।

सामाजिक विकास के प्रक्रम
(Process of Social Development)

हरलाक (Hurlock) के अनुसार इस प्रक्रिया में निम्नलिखित तीन प्रक्रम सन्निहित होते हैं

1. समाज अनुमोदित व्यवहार का अधिगम (Learning of Socially Approved Behaviour) प्रत्येक बालक को अपने सामाजिक समूहों के आदर्शों के अनुरूप व्यवहार प्रतिमान सीखने पड़ते हैं। जब वे अपने व्यवहार में अपने समूह की मान्यताओं, आदर्शों व रीतिरिवाजों का प्रदर्शन करने लगते हैं तब उन्हें सामाजिक कहा जाता है।

2. समाज अनुमोदित भूमिकाओं का निर्वाह ( Playing Approved Social Roles) प्रत्येक समूह में सदस्यों के लिये मान्यता प्राप्त व्यवहार प्रतिमान होते हैं और सदस्यों में उनके अनुरूप व्यवहार करने की प्रत्याशा की जाती है। जैसे माता-पिता, शिक्षक, अधिकारी एवं छात्रों से एक निश्चित व्यवहार की प्रत्याशा की जाती है।

3. सामाजिक अभिवृत्तियों का विकास (Development of Social Attitude) एक सभ्य एवं सामाजिक प्राणी के लिये यह आवश्यक है कि बालक व्यक्तियों तथा सामाजिक गतिविधियों के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण विकसित करे। ऐसा करके ही वह समूह का अनुमोदन प्राप्त कर सकता है तथा सामाजिक समायोजन स्थापित कर सकता है।

सामाजिक विकास के मानदण्ड
(Criteria of Social Development)

समुचित सामाजिक विकास के लिए सामाजिक व्यवहार सम्बन्धी विभिन्न आयामों को अर्जित करना आवश्यक है। हरलाक (Hurlock, 1978) ने समुचित सामाजिक विकास के लिए निम्नलिखित मानदण्डों को महत्वपूर्ण बताया है -

1. सामाजिक अन्तः क्रिया (Social Interaction) समुचित सामाजिक विकास के लिए सामाजिक अन्तर्क्रिया अधिगम के लिए अधिक से अधिक अवसर प्राप्त करना आवश्यक है। इससे सामाजिक सम्बन्धों का प्रसार होता है तथा वांछित गुणों का विकास भी होता है।

2. सामाजिक सहभागिता (Social Participation) सामाजिक विकास के लिए सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेना आवश्यक है। यदि बच्चों को अपनी मित्र मण्डली में रहने से रोका जाता है तो सामाजिक विकास की प्रक्रिया बाधित होती है। अतः सामाजिक कार्यों में भाग लेने के लिये बच्चों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

3. सामाजिक समायोजन (Social Adjustment) सामाजिक विकास के परिणामस्वरूप बच्चों में सामाजिक समायोजन की योग्यता बढ़ती है अतः उन्हें सीखने एवं प्रशिक्षण के लिए उचित विधियाँ उपलब्ध कराना आवश्यक है क्योंकि सामाजिक समायोजन में अक्षम बच्चों में सामाजिक विकास की गति बहुत मन्द हो जाती है -

4. सामाजिक अनुरूपता (Social Conformity) सामाजिक परिवेश में सामाजिक अनुरूपता का विशेष स्थान है। अतः बच्चों को अपने समूह परिवार एवं संस्था के आदर्शों आदि के अनुरूप व्यवहार करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। अनुरूपता से प्रशंसा प्राप्त होती है एवं बच्चे इससे प्रभावित होकर अपने व्यवहार में यथोचित परिवर्तन करते हैं।

5. सामाजिक परिपक्वता (Social Maturity) किस समय कैसा व्यवहार करना है, इसका ज्ञान बच्चों को कराना आवश्यक है। इस योग्यता का प्रदर्शन सामाजिक परिपक्वता पर निर्भर करता है। सामाजिक अधिगम के लिए सुअवसर मिलते रहने से परिपक्वता का विकास सामान्य रूप से चलता रहता है सामाजिक परिपक्वता के अभाव में बच्चों का व्यवहार असामाजिक एवं अवांछित हो सकता है। किसी बच्चे में सामाजिक परिपक्वता का जितना विकास अधिक होता है उसमें समयोचित व्यवहार करने की योग्यता उतनी ही अधिक होती है।

सामाजिक विकास की अवस्थायें
(Stages of Social Development)

सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थायें निम्नलिखित हैं-

1. बचपनावस्था में सामाजिक विकास (Social Development in Babyhood)- इस अवस्था में होने वाले सामाजिक विकास को निम्नलिखित तीन स्तरों पर व्यक्त किया जा सकता है -

(a) प्रारम्भिक अनुक्रम (Early Sequence) - नवजात शिशुओं का प्रारम्भ में जो व्यवहार अन्य लोगों के प्रति होता है, उसे प्रारम्भिक उपक्रम कहते हैं। जैसे आठवें सप्ताह में अन्य लोगों की मुस्कराहट या बातचीत के प्रति अनुक्रिया करना। इसी प्रकार वे तीसरे सप्ताह तक माँ को समझने का प्रयास आरम्भ कर देते हैं। (Thompson 1934 )। धीरे-धीरे उनमें सामाजिक अनुक्रियाएँ बढ़ने लगती हैं।

(b) पूर्व सामाजिक व्यवहार (Pre-social behaviour) नवजात शिशु में संघीय (Gregariousness) का अभाव होता है। कार्ल बुलहर (1930) के अनुसार प्रारम्भ में बालक जो व्यवहार करते हैं वह वास्तव में सामाजिक व्यवहार नहीं होता है। जैसे, रोते हुए बच्चे को उठाने पर उसका चुप हो जाना। चुप हो जाने के अन्य कारण भी हो सकते हैं अतः इसे पूर्ण सामाजिक व्यवहार कहा जा सकता है।

(c) सामाजिक व्यवहार का शुभारम्भ ( Begining of Social Behaviour) - जब बच्चों में वास्तविक सामाजिक समझ विकसित होने लगती है तो उनमें निम्नलिखित तीन प्रकार के सामाजिक व्यवहार स्पष्ट होने लगते हैं -

(i) प्रौढ़ों के प्रतिक्रियाएं (Reactions of Adults) सामाजिक व्यवहार के रूप में बच्चों में सर्वप्रथम प्रौढ़ों के प्रति प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चों का सम्पर्क पहले प्रौढों से होता है। वही उनकी देखभाल करते हैं। बहलर (1930) के अनुसार यदि 2-3 माह के रोते हुए बच्चे को उठा लिया जाये तो वे चुप हो जाते हैं। इस सम्बन्ध में लेविस (Lewis 1967) रोज (Ross, 1975) जोन्स (Jones, 1926) आदि के अध्ययन भी महत्वपूर्ण हैं।

(ii) अन्य बच्चों के प्रति प्रतिक्रियाएँ (Reactions to Other Children) ब्रिजेज (Bridges 1933) मण्ड्री एवं नेकुला (Mandry and Nekula, 1939) आदि के अध्ययनों से पता चलता है कि प्रायः बच्चे अन्य बच्चों के प्रति प्रतिक्रियाएँ विलम्ब से करते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि प्राय: 4-5 माह की आयु में बच्चे दूसरे बच्चों के प्रति ध्यान केन्द्रित करते हैं या उन्हें देखकर मुस्कराते हैं तथा 9-13 माह की आयु में अन्य बच्चों के साथ बैठना, उन्हें स्पर्श करना तथा अनुकरण करना आरम्भ कर देते हैं। इस अवस्था में उनमें प्रतिद्विता भी देखने को मिलती है। वे परस्पर झगड़ना, सामान छिन जाने पर क्रोध व्यक्त करना जैसी प्रतिक्रियायें व्यक्त करने लगते हैं।

(iii) सामाजिक व्यवहार के प्रारम्भिक रूप (Early Forms of Social Behaviour) आयु में वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक सम्बन्धों का भी विस्तार होता है और बच्चों में सामाजिक व्यवहार के प्रारम्भिक प्रतिमानों का विकास आरम्भ हो जाता है। प्रारम्भ में वे चेहरे की अभिव्यक्ति, हाव-भाव, गति सिर हिलाने, चुम्बन देने एवं ध्वनि का अनुकरण करते हैं। वे अनुसरण के द्वारा ही खाना, कपड़े पहनना, खिलौनों के साथ खेलना आदि क्रियाएँ सीखते हैं। इस सम्बन्ध में कोट्स आदि (Coates et al, 1973) एकेलोना (Escalona, 1973) टलकिन (Tulkin, 1973) आदि के अध्ययन महत्वपूर्ण हैं।

2. प्रारम्भिक बाल्यावस्था में सामाजिक विकास (Social Development in Early Childhood) बचपनावस्था की अपेक्षा सामाजिक विकास की दृष्टि से अवस्था अधिक महत्वपूर्ण है। इसे आलपोर्ट (Allport 1959) तथा कागन एवं मौस (Kagan and Moss 1962) ने पूर्वटोली उम्र ( Pre-gang age) नाम दिया है। इसमें जहाँ एक ओर नकारात्मक एवं प्रतिरोधी व्यवहार दिखाई देता है वहीं सहयोग, अनुमोदन एवं मैत्री भावना भी बढ़ती है। इस अवस्था में बालक गैर सामाजिक से सामाजिक होता है। इस अवस्था में होने वाला सामाजिक विकास निम्नलिखित रूप में होता है -

(a) प्रौढ़ों के प्रति व्यवहार (Behaviour towards Adults) - प्रारम्भिक बाल्यावस्था में बच्चों में एक विशेषता यह देखने को मिलती है कि वे प्रौढ़ों के साथ अपना समय कम व्यतीत करना चाहते हैं। वे अपने आयु के बच्चों के साथ अधिक से अधिक रहना चाहते हैं। उनका लगाव प्रतिवर्ष क्रमशः अपने हम उम्र साथियों के प्रति बढता जाता है तथा प्रौढों के प्रति कम होता जाता है। 3 वर्ष की अवस्था तक वे अपना स्वतन्त्र अस्तित्व चाहते हैं पर 4-5 वर्ष की अवस्था में वे प्रौढों से अनुमोदन एवं प्रशंसा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

(b) अन्य बालकों के प्रति व्यवहार (Behaviour towards Other Children)- प्रारम्भिक बाल्यावस्था ने बच्चों के पारस्परिक सम्बन्धों में भी परिवर्तन होता है। पहले वे अंकेले खेलना अधिक पसन्द करते थे, परन्तु 3-4 वर्ष की आयु तक वे एक दूसरे के साथ मिलकर खेलने लगते हैं तथा उनमें समूह के प्रति लगाव उत्पन्न होता है। इस अवस्था में बच्चे प्रायः समलिंगीय बच्चों के साथ ही खेलना पसन्द करते हैं। इस सम्बन्ध मे मार्शल (Marshall, 1961) रेनाल्ड्स (Reynolds, 1928) कैले (Caille, 1933 ) आदि के अध्ययन अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

3. उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास (Social Development in Late Childhood) . उत्तर बाल्यावस्था में समाजिक विकास व्यापक स्तर पर होता है और बच्चों में संघीय प्रवृत्ति प्रबल हो जाती है इसीलिये आलपोर्ट (Allport) आदि ने इसे टोली की उम्र (Gang age) कहा है। इस आयु में बच्चे अपनी आयु तथा लिंग के अनुरूप अन्य बच्चों के साथ समूह बना लेते हैं। घर से स्कूल में आ जाने के कारण उनकी सामाजिकता का दायरा बढ़ जाता है और उनमें सामाजिक चेतना बढ़ जाने के कारण उनके सामाजिक समायोजन तथा परिपक्वता में भी वृद्धि होती है। बालक बाहरी कार्यों में तथा बालिकायें प्रायः पठन-पाठन तथा घरेलू कार्यों में अधिक रुचि लेती हैं। उनमें यौन-विरोधाभास बढ़ने लगता है।

4. यौवनारम्भ या पूर्व किशोरावस्था में सामाजिक विकास (Social Development during Puberty) इस अवस्था में पूर्ववर्ती अवस्थाओं की अपेक्षा बालकों में सामाजिक विकास की विशेषताएँ काफी भिन्न होती हैं। उस अवस्था में बच्चों में एक विशेष परिवर्तन यह देखने को मिलता है कि सामूहिक या सामाजिक गतिविधियों में उनकी रुचि घटने लगती है ओर वे प्रायः अकेले रहना अधिक पसन्द करते हैं और उनके व्यवहार में समाज विरोधी बातें (Antisocial aspects) प्रदर्शित होने लगती हैं। उनमें नकारात्मक प्रवृत्ति बढ़ने के लिए उनमें होने वाले शारीरिक परिवर्तनों को उत्तरदायी माना जाता है उनमें नायक पूजा (Heroworship ) तथा दिवास्वप्न (Day dreaming ) की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। उनमें स्व की अवधारणा भी बदल जाती है तथा असहिष्णुता बढ़ जाती है। इस सम्बन्ध में एडम (Adm, 1973 ) जोन्स (Jones, 1965), डुनबर (Dunbar, 1958) आदि के अध्ययन अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

5. किशोरावस्था में सामाजिक विकास (Social Development in Adolescence) - किशोरावस्था संक्रमण अवधि कहलाती है। इस अवस्था में बालक न तो प्रौढ़ माना जाता है और न ही वह बालक रह जाता है। पूर्व किशोरावस्था में सामाजिक विकास की गति धीमी होती है किन्तु उत्तर किशोरावस्था में गति बढ़ जाती है। इस अवस्था में किशोर अपना अधिकांश समय अपने मित्रों के साथ ही व्यतीत करना चाहता है उसमें मित्रों के प्रति सहानुभूति काफी बढ़ जाती है। इस अवस्था में बालकों की अपेक्षा बालिकाओं के व्यवहार में अधिक अनुरूपता देखने को मिलती है। उनमें सामाजिक समझ बढ़ जाती है तथा उनके समायोजन में सुधार होता है। इस अवस्था में विपरीत यौनाकर्षण बढ़ता है। किशोरों में अपना समूह तथा दूसरा समूह की भावना आ जाती है। हरलॉक ( Hurlock, 1975) के अनुसार सामाजिक समायोजन स्थापित करना किशोरों के लिए कठिन कार्य है। इस सम्बन्ध में बोसार्ड (Bossard, 1953) डम्फी (Dumphy, 1963) आदि के अध्ययन महत्वपूर्ण हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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